Saturday, December 12, 2009

काव्योत्पल से सुमन घई की रचना- खो चुका परिचय

आज प्रस्तुत है काव्योत्पल से सुमन घई साहब की रचना। सुमन घई जी की कविताओं में प्रकृति से ले कर मनोभावों तक और भारतीय संस्कृति से ले कर आज के समय के महत्वपूर्ण चिंताओं तक्विषय मिलते हैं। सुमन जी साहित्यकुंज नाम की हिन्दी जाल घर पत्रिका के संपादक हैं। अत्यंत विनयी और मीठे बोलने वाले सुमन जी, ने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया है। टोरांटो के मशहूर हिन्दी टाइम्स का भी वही संपादन कर रहे हैं।  कई प्रतिभाओं के धनी सुमन जी एक कवि, संपादक आदि होने के साथ-साथ एक सफ़ल कहानीकार भी हैं।

लीजिये प्रस्तुत है उनकी कविता।





खो चुका परिचय

 कल्पना की झील में
वास्तविकता की
उफ़नती लहरों पर
भावनाओं की डोलती नाव
और मैं किनारा ढूँढता हूँ।

लालसा के जंगल में
कुंठा की दलदल
धँसता हुआ
मेरा अस्तित्व
और मैं तिनके का सहारा ढूँढता हूँ।

जीवन के मरु में
बीते क्षणों की मरीचिकायें
भागता हुआ
दिशाहीन बदहवास साया
और मैं लौटने का इशारा ढूँढता हूँ।

अनजाने से देश में
मुखौटों की भीड़
कोलाहल में खो चुका
अपना ही परिचय
और मैं दर्पण में अपना चेहरा ढूँढता हूँ।